सिक्किम में आयकर छूट: एक विशेष स्थिति

सिक्किम, भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ करोड़ों रुपये कमाने वाले नागरिकों को भी आयकर का भुगतान नहीं करना पड़ता। इस असामान्य स्थिति का मुख्य कारण राज्य के विशेष दर्जे से जुड़ा है। 1975 में भारत से सिक्किम के विलय की शर्तों के तहत सिक्किम को विशेष प्रावधान प्राप्त हैं, जिनके कारण वहाँ की अधिकांश आबादी आयकर के दायरे से बाहर है।

सिक्किम को 1975 में भारत में विलीन होने के बाद अनुच्छेद 371-एफ के तहत एक विशेष दर्जा प्राप्त हुआ। इस विशेष दर्जे के चलते, सिक्किमवासियों को भारतीय आयकर कानून, 1961 की धारा 10 (26एएए) के तहत आयकर से छूट मिली हुई है। इसका मतलब है कि सिक्किम में करोड़ों रुपये कमाने के बावजूद, वहाँ के निवासियों को आयकर का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।

इस विशेष प्रावधान के तहत, सिक्किम में रहने वाले व्यक्तियों की आय पर भारतीय आयकर कानून लागू नहीं होता। इसके चलते, राज्य में बड़ी मात्रा में धन कमाने वाले लोग भी आयकर से बच सकते हैं। यह विशेष छूट राज्य की विशेष स्थिति और विलय के समय की शर्तों के कारण संभव हो पाई है।

सिक्किम का यह विशेष दर्जा उसे भारत के अन्य राज्यों से अलग बनाता है और इसके निवासियों को एक अनूठी लाभकारी स्थिति प्रदान करता है। हालांकि, यह प्रावधान भारतीय कर प्रणाली की अन्य जटिलताओं और प्रासंगिकताओं से अलग है, जो इस क्षेत्र की आर्थिक और कानूनी विशेषताओं को दर्शाता है।

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